शोध क्या है? शोध का अर्थ,परिभाषा,विशेषताएं एवं इसके प्रकार

शोध क्या है?

‘शोध’ एक प्रक्रिया है जिसमें शोधकर्ता किसी विषय पर नए तथ्यों की खोज करता है एवं उनका निरीक्षण करता है। यह तथ्यों से सत्य तक पहुंचने की एक विशिष्ट प्रक्रिया होती है, जिसे ‘शोध प्रक्रिया’ कहा जाता है।

शोध का अर्थ –

‘शोध’ को अंग्रेजी में ‘रिसर्च’ कहते हैं। रिसर्च मूल रूप से लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘खोजना’। जब शोधकर्ता कोई विषय पर नवीन तथ्यों की गहन खोज कर उन्हें एकत्रित करता है एवं उनके विश्लेषण के आधार पर उसमें संबंध शोध के और भी कई समानांतर नाम है जैसे – अनुसंधान, अन्वेषण आदि।

परिभाषाएं –

विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने अनुसार शोध की परिभाषाएं दी हैं जो निम्नलिखित हैं –

रुमेल के अनुसार – “ज्ञान को खोजना, ज्ञान को विकसित करना एवं उसको सत्यापित करना शोध है।”

लुण्डबर्ग के अनुसार – “शोध अवलोकित सामग्री का संभावित वर्गीकरण, साधारणीकरण एवं सत्यापन करते हुए पर्याप्त कर्म विषयक और व्यवस्थित पद्धति है।”

जेम्स ड्रेवर अनुसार – “किसी क्षेत्र में ज्ञान और सत्यापन की जाने वाली क्रमबद्ध खोज को शोध कहा जाता है।”

रस्क के अनुसार – “शोध एक दृष्टिकोण है। जांच – परख का तरीका और मानसिकता है।”

एडवांस्ड लर्नर डिस्कवरी ऑफ करेंट इंग्लिश के अनुसार – “किसी भी ज्ञान की शाखा में नवीन तथ्यों की खोज के लिए सावधानीपूर्वक किए गए अन्वेषण या जांच-पड़ताल को शोध की संज्ञा दी जाती है।”

डॉ नगेंद्र के अनुसार –“अनेकता में एकता की सिद्धि का नाम ही सत्य है इसी का अर्थ है आत्मा का साक्षात्कार करता शोध का यह रूप सत्य की उपलब्धि अथवा आत्मा के साक्षात्कार के अधिक निकट है।”

शोध के प्रकार –

  • मौलिक शोध
  • व्यावहारिक शोध
  • क्रियात्मक शोध
  • मात्रात्मक शोध
  • गुणात्मक शोध

मौलिक शोध – मौलिक शोध वैसे शोध को कहा जाता है जिसमें शोधकर्ता का मुख्य उद्देश्य किसी भी क्षेत्र में एक विशेष सिद्धांत विकसित करना होता है। मौलिक शोध में हमेशा शोधकर्ता अपने शोध के द्वारा ज्ञान की प्राप्ति पुनः परीक्षण, पुन:मूल्यांकन किया जाता है। इसमें स्वागत करता नए सिद्धांतों की एवं नए नियमों की खोज करते है।

व्यवहारिक शोध – व्यवहारिक शोध वैसे शोध को कहा जाता है जब किसी घटना-परिघटना के कार्य-कारणों को निर्धारित करने के साथ उनसे उत्पन्न समस्याओं के समाधान या उनके निदान के लिए किए जाने वाले शोध को व्यवहारिक शोध कहते हैं। व्यावहारिक शोध का मुख्य उद्देश्य योजना और नीति निर्माण में सहायता करना एवं सामाजिक समस्याओं के निदान एवं समाधान हेतु विश्वसनीय तथ्यों को जुटाना है।

क्रियात्मक शोध – क्रियात्मक शोध एक ऐसा शोध है जिसमें शैक्षिक संबंधित समस्याओं का समाधान किया जाता है। शोध में शैक्षिक समस्याओं का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन करना एवं प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर अपनी कार्य प्रणाली में सुधार लाना है।

कुछ विद्वानों ने क्रियात्मक अनुसंधान के बारे में अपने सिद्धांत दिए हैं, जो निम्नलिखित हैं –

स्टीफन एम. कोरे के अनुसार – क्रियात्मक शोध एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत शिक्षक तथा शिक्षा से संबद्ध अन्य व्यक्ति अपनी कल्पना शक्ति का सृजनात्मक एवं रचनात्मक प्रयोग करते हुए साहसपूर्वक उन क्रियाकलापों का परीक्षण करते हैं।

कुर्ग के अनुसार – “क्रियात्मक शोध” का तात्पर्य है ऐसा शोध जिसका संचालन उन लोगों द्वारा हो, जो अध्ययन की जाने वाली समस्याओं से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित हो, न बाह्य शोधकर्ताओं एवं विशेषज्ञों द्वारा।

मात्रात्मक शोध – मात्रात्मक शोध वैसे शोध को कहा जाता है जो संख्याओं पर आधारित होता है और आंकड़ों को संरचित या मानकीकृत शोध उपकरणों की सहायता से शोधकर्ता द्वारा एकत्रित किया जाता है। जिसमें सांख्यिकी तकनीको का उपयोग करके विश्लेषण किया जाता है। आंकड़ों को हमेशा तालिका, चार्ट या दूसरे किसी पाठ्यवस्तुएं जैसे संख्या एवं आंकड़ों के रूप में व्यवस्था अनुसार एकत्र किया जाता है। मात्रात्मक शोध विश्वसनीय होता है क्योंकि इसको योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है और इसको वेध भी माना जाता है। इस विधि के माध्यम से परिणाम को समान्यीकरण किया जा सकता है और यह प्रभावी रूप से परिणामों के साथ-साथ अनुमानित संबंधों का भी पहले से कल्पना लगा सकता है।

गुणात्मक शोध – गुणात्मक शोध को एक प्रकार के वैज्ञानिक शोध के रूप में परिभाषित किया गया है। गुणात्मक शोध मनुष्य के स्वभाव, व्यवहार, दृष्टिकोण और अनुभव के गहन ज्ञान को प्राप्त करने में बहुत सहायता करता है। यह शोध उन व्यवहार संबंधी घटनाओं को समझने में सहायता करता है, जिन्हें परिमाणित नहीं किया जा सकता है, एवं सामाजिक मानदंडों, लिंग, धर्म की भूमिकाओं और सामाजिक आर्थिक स्थिति की पहचान करने और समझने में सहायता करता है।

गुणात्मक शोध विधि 20वीं सदी की शुरुआत में जांच और सर्वेक्षण की विधि के रूप में मानव शास्त्र और समाजशास्त्र के अध्ययन पर आधारित है।

विशेषताएं –

शोध की कुछ विशेषताएं हैं जो निम्नलिखित हैं –

  • शोध एक ऐसी विधि है जिससे किसी भी विषय से संबंधित समस्या का समाधान को खोजना एवं उस विषय के बारे में पता लगाना होता है।
  • शोधकर्ता जब किसी विषय पर शोध करता है, तो उससे पहले वह उस विषय का गहन अध्ययन करता है। जिसके परिणाम स्वरुप उसे उस विषय के बारे में नए तथ्यों की जानकारी प्राप्त होती है।
  • शोध की मदद से हमें किसी विषय से संबंधित जो जानकारी होती है उसमें शोधकर्ताओं द्वारा गहन अध्ययन एवं खोजने से हमें और भी बहुत सारी नवीन ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • शोध एक तर्कपूर्ण एवं वस्तुनिष्ठ प्रक्रिया है। इस शोध से निकलने वाले निष्कर्ष तार्किक एवं आंकड़ों पर आधारित होता है एवं यह वैध होता है।

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