टिप्पणी लेखन किसे कहते हैं इसके प्रकार, विशेषताएं एवं महत्व

टिप्पणी लेखन क्या है?

संक्षिप्त रूप में लिखने की क्रिया को टिप्पणी कहा जाता है। किसी भी प्रकार का संक्षिप्त रूप से लिखा गया लेख या विचार टिप्पणी कहलाता है। सरकारी कार्यालय में जो भी पत्र आते हैं उन पर आगामी कार्रवाई के लिए अधिकारियों द्वारा संक्षिप्त रूप में प्रकट की गई सुझाव या आपत्ति को लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाता है उसे नोटिंग या टिप्पणी लेखन कहा जाता है।

टिप्पणी लेखन के प्रकार –

आकार या संरचना की दृष्टि से टिप्पणी तीन प्रकार की होती है –

  • प्रशासनिक या नेमी टिप्पणी।
  • स्वत:पूर्ण टिप्पणी।
  • आवती पर आधारित टिप्पणी।

प्रशासनिक या नेमी टिप्पणी – जब कोई नहीं होती कार्यालय में आती है तो उसे पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने के लिए उद्देश्य से अधिकारी हाशिए में अधीनस्थ कर्मचारी को जो दिशा निर्देश या आदेश दिया जाता है उसे हाशिए या नेवी टिप्पणी कहा जाता है। यह टिप्पणी अधिकारी स्तर पर लिखी जाती है, इसके द्वारा अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को कार्रवाई करने के संबंध में मार्गदर्शन देता है। नेमी टिप्पणियां सामान्य प्रशासनिक या वित्तीय आदि जैसे मामलों से संबंधित होती है। आमतौर पर जितने भी सामान्य टिप्पणियां होते हैं, अधिकतर हाशिए में अधिकारियों द्वारा लिखी जाती है और इनका उद्देश्य किसी भी प्रकार के मामले को निपटाने के संबंध में आदेश देना होता है। प्रशासन संबंधी नेमी टिप्पणियां हमेशा नोट शीट पर ही लिखी जाती है और वित्त संबंधी नेमी टिप्पणीयां मामलों के वित्तीय पक्ष के संबंध में सुझाव या आदेश दिए जाते हैं।

स्वत:पूर्ण टिप्पणी – स्वत: पूर्ण टिप्पणी किसी आवती पर आधारित नहीं होती है, बल्कि यह किसी समस्या के समाधान या किसी प्रकार के आवश्यकता को पूरी करने के लिए लिखी जाती है। इसमें कार्यालय में उत्पन्न समस्याओं के समाधान करने के लिए टिप्पणी लिखी जाती है। यह टिप्पणी अधिकारी स्तर पर एवं सहायक स्तर पर भी लिखी जाती है। जैसे – किसी कार्यालय में कर्मचारियों की कमी है तो उसके लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की मांग हेतु एवं लेखन सामग्री की मांग हेतु आदि।

आवती पर आधारित टिप्पणी – आवती पर आधारित टिप्पणी में सहायक नोट शीट पर अपने अधिकारी को आवती का क्रमांक और पत्राचार खंड का पृष्ठ लिखकर यह बताता है कि प्रेषक ने क्या मांग की है और उस मांग का कारण क्या है। अंतिम में जो टिप्पणी लिखता है वह अपना सुझाव भी देता है। जब कोई टिप्पणी संक्षिप्त रूप में लिखी जाती है तो उनमें आवती का विषय उसका कारण, नियम, कार्य की स्थिति एवं अंत में सुझाव भी दिया जाता है। इसमें अधिकारी अपने अनुसार संशोधन करके अपना अनुमोदन भी देता है। इस प्रकार के टिप्पणी को नेमी मामलों, समस्या सुलझाने वाले मामलों एवं नीति या योजनागत मामलों के लिए किया जाता है।

टिप्पणी लेखन की क्या विशेषताएं होती है?

टिप्पणी लेखन के प्रमुख विशेषताएं होती हैं जो निम्नलिखित हैं –

जब हम कोई टिप्पणी लिखते हैं तो वह बहुत विस्तृत या लंबा नहीं होना चाहिए।

कोई भी टिप्पणी मूल पत्र पर नहीं लिखना चाहिए। उसके लिए कोई दूसरा पेपर या बफ- शीट का प्रयोग करना चाहिए।

टिप्पणी लिखने के लिए हमेशा स्याही से ही या फिर टाईपिंग मशीन से ही टाईप होनी चाहिए।

टिप्पणी पूर्ण रूप से गैर व्यक्ति होनी चाहिए। टिप्पणी में कार्यालय की किसी वरिष्ठ अधिकारी या कर्मचारी पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं करना चाहिए।

टिप्पणी में उसे बात का भी उल्लेख करना चाहिए कि टिप्पणी में किस समस्या पर विचार किया जा रहा है, ताकि अधिकारी इस संदर्भ में आदेश दें ।

टिप्पण को इस तरीके से लिखना चाहिए कि पत्रावली में पत्र जिस क्रम से लगे हों, टिप्पण में भी उनका वही क्रम हो।

टिप्पणी में विवरण अधूरे नहीं होने चाहिए। उसमें हमेशा सारे विवरण पूरे होने चाहिए।

अगर कभी ऐसा हो कि किसी एक ही मामले में कई बातों पर अलग-अलग आदेश लिए जाने की आवश्यकता हो तो उनमें से हर बात पर अलग-अलग टिप्पणी लिखनी चाहिए।

टिप्पणी लिखने के बाद लिपिक या सहायक को नीचे बांई ओर अपना हस्ताक्षर करना चाहिए और दांई ओर का उच्च अधिकारियों के हस्ताक्षर के लिए छोड़ देना चाहिए।

टिप्पणी लेखन का क्या उद्देश्य होता है ?

टिप्पणी के मेन उद्देश्य वह होते हैं जो प्राप्त पत्र में दिए गए विषय पर सभी प्रकार के तथ्यों और उनके पूर्व वृत्त की जानकारी संबंधित अधिकारी को देना ।

प्रस्तुत विषय में जो भी कार्यवाही संभव हो अथवा विकल्प संभव हो उनको स्पष्ट करना एवं उस समय साथ ही नियमों का हवाला देना।

टिप्पणी लेखन के महत्व –

सरकारी कार्यालय में या फिर गैर सरकारी कार्यालय में हर छोटे-बड़े मामलों के लिए एक फाइल होती है। उसमें उन मामलों पर की जाने वाली छोटे – बड़े सभी प्रकार के कार्यवाही का लेखा-जोखा अंकित रहता है।

टिप्पणी कार्यालय में लिखित दस्तावेज का लेखा-जोखा होता है। जिसमें की अगर कार्यालय का कर्मचारी बदल जाता हो या उसका तबादला कहीं और हो जाता हो फिर भीकार्यालय का काम नहीं रुकता है।

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